छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह अपने राज्य में लगातार हो रहे माओवादियों के अटैक के चलते आलोचना का शिकार हो रहे हैं, यहां तक कि खुद बीजेपी के अंदर से भी उन्हें हटाने के लिए आवाजें उठने लगी हैं।
बीजेपी प्रेजिडेंट अमित शाह 10 दिसंबर को रायपुर पहुंचने वाले हैं, जहां वे पार्टी एमएलए से उनके विचार जानेंगे। एक सीनियर बीजेपी लीडर ने कहा, 'हो सकता है कि अगले कुछ हफ्तों में कोई बदलाव न हो लेकिन मुख्यमंत्री को एक संदेश जरूर दे दिया जाएगा।'
कांग्रेस ने लोकसभा में मंगलवार को इस बात की मांग की है कि सुकमा में एक और माओवादी अटैक के चलते 14 सीआरपीएफ जवानों की हत्या किए जाने के चलते राज्य सरकार को हटा देना चाहिए, लेकिन बीजेपी के लिए राज्य में माओवादी हिंसा को रोक पाने में असफल रहना रमन सिंह के खिलाफ उठ रहे मुद्दों में सबसे ऊपर है। होम मिनिस्टर राजनाथ सिंह ने राज्य की राजधानी का दौरा किया और चीफ मिनिस्टर पर हो रहे हमलों की धार कम करने की कोशिश की। उन्होंने कहा, 'नक्सल हिंसा एक राष्ट्रीय समस्या है। केंद्र और राज्य मिलकर इस मुसीबत से निपटेंगे।'
हालांकि, पार्टी के भीतर रमन सिंह के खिलाफ आवाज उभरने लगी है और कई एमएलए और कार्यकर्ता उनसे नाराज हैं। बीजेपी लीडर ने बताया, 'राज्य के राजनीतिक मसले हटा दें, तो चीफ मिनिस्टर का बचाव कर पाना मुश्किल हो रहा है क्योंकि वह कानून और व्यवस्था को कंट्रोल नहीं कर पा रहे हैं। पहले, वह केंद्र पर आरोप लगा देते थे, जब यूपीए सरकार थी, लेकिन अब यह दिक्कत भी नहीं रही।'
पार्टी के भीतर मौजूद सूत्रों ने दावा किया कि पहले सिंह को लेकर आरएसएस का रवैया न्यूट्रल था, लेकिन छत्तीसगढ़ में बार-बार नक्सल अटैक को देखते हुए, यहां तक कि संघ ने भी अपने रुख को कड़ा कर लिया है और तीसरी बार मुख्यमंत्री बने रमन सिंह पर सख्त रुख का समर्थन किया है।
सुरक्षा बलों में मौजूद सूत्रों का कहना है कि नैशनल सिक्यॉरिटीज अडवाइजर (NSA) अजीत डोभाल ने भी सिंह से बात की है, और उनसे सुकमा ऑपरेशन के बारे में एक विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। यह पहला मौका नहीं है जबकि माओवादियों ने राज्य को हिलाकर रख दिया है। इसी जिले में चिंतलनार के पास 2010 में 76 सीआरपीएफ जवानों को माओवादियों के हमले में जान से हाथ धोना पड़ा था।
इसी तरह से पिछले साल असेंबली इलेक्शंस से पहले कांग्रेस की तकरीबन पूरी लीडरशिप को एक बर्बर नक्सल हमले में साफ कर दिया गया था। एक इंटेलिजेंस अफसर ने ईटी को बताया, 'इन सभी बड़ी घटनाओं के साथ, राज्य सरकार को माओवादियों के खिलाफ कड़े कदम उठाने चाहिए। आंध्र प्रदेश इस मामले में मिसाल है, जहां माओवाद को बेहतर पॉलिसी के जरिए प्रभावी तौर पर रोकने में सफलता हासिल हुई है।'
बीजेपी प्रेजिडेंट अमित शाह 10 दिसंबर को रायपुर पहुंचने वाले हैं, जहां वे पार्टी एमएलए से उनके विचार जानेंगे। एक सीनियर बीजेपी लीडर ने कहा, 'हो सकता है कि अगले कुछ हफ्तों में कोई बदलाव न हो लेकिन मुख्यमंत्री को एक संदेश जरूर दे दिया जाएगा।'
कांग्रेस ने लोकसभा में मंगलवार को इस बात की मांग की है कि सुकमा में एक और माओवादी अटैक के चलते 14 सीआरपीएफ जवानों की हत्या किए जाने के चलते राज्य सरकार को हटा देना चाहिए, लेकिन बीजेपी के लिए राज्य में माओवादी हिंसा को रोक पाने में असफल रहना रमन सिंह के खिलाफ उठ रहे मुद्दों में सबसे ऊपर है। होम मिनिस्टर राजनाथ सिंह ने राज्य की राजधानी का दौरा किया और चीफ मिनिस्टर पर हो रहे हमलों की धार कम करने की कोशिश की। उन्होंने कहा, 'नक्सल हिंसा एक राष्ट्रीय समस्या है। केंद्र और राज्य मिलकर इस मुसीबत से निपटेंगे।'
हालांकि, पार्टी के भीतर रमन सिंह के खिलाफ आवाज उभरने लगी है और कई एमएलए और कार्यकर्ता उनसे नाराज हैं। बीजेपी लीडर ने बताया, 'राज्य के राजनीतिक मसले हटा दें, तो चीफ मिनिस्टर का बचाव कर पाना मुश्किल हो रहा है क्योंकि वह कानून और व्यवस्था को कंट्रोल नहीं कर पा रहे हैं। पहले, वह केंद्र पर आरोप लगा देते थे, जब यूपीए सरकार थी, लेकिन अब यह दिक्कत भी नहीं रही।'
पार्टी के भीतर मौजूद सूत्रों ने दावा किया कि पहले सिंह को लेकर आरएसएस का रवैया न्यूट्रल था, लेकिन छत्तीसगढ़ में बार-बार नक्सल अटैक को देखते हुए, यहां तक कि संघ ने भी अपने रुख को कड़ा कर लिया है और तीसरी बार मुख्यमंत्री बने रमन सिंह पर सख्त रुख का समर्थन किया है।
सुरक्षा बलों में मौजूद सूत्रों का कहना है कि नैशनल सिक्यॉरिटीज अडवाइजर (NSA) अजीत डोभाल ने भी सिंह से बात की है, और उनसे सुकमा ऑपरेशन के बारे में एक विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। यह पहला मौका नहीं है जबकि माओवादियों ने राज्य को हिलाकर रख दिया है। इसी जिले में चिंतलनार के पास 2010 में 76 सीआरपीएफ जवानों को माओवादियों के हमले में जान से हाथ धोना पड़ा था।
इसी तरह से पिछले साल असेंबली इलेक्शंस से पहले कांग्रेस की तकरीबन पूरी लीडरशिप को एक बर्बर नक्सल हमले में साफ कर दिया गया था। एक इंटेलिजेंस अफसर ने ईटी को बताया, 'इन सभी बड़ी घटनाओं के साथ, राज्य सरकार को माओवादियों के खिलाफ कड़े कदम उठाने चाहिए। आंध्र प्रदेश इस मामले में मिसाल है, जहां माओवाद को बेहतर पॉलिसी के जरिए प्रभावी तौर पर रोकने में सफलता हासिल हुई है।'
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