Tuesday, December 16, 2014

...तो भारत के बच्चे माफ नहीं करेंगे नेताओं को: सत्यार्थी

नई दिल्ली 

बच्चों के प्रति जज्बे को वैश्विक आंदोलन के रुप में परिवर्तित करने की अपील करते हुए नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने आज कहा कि वह चाहते हैं कि बाल श्रम इतिहास के पन्नों में सिमट जाये। नोबेल शांति पुरस्कार ग्रहण करने के बाद ओस्लो से आज ही दिल्ली लौटे सत्यार्थी ने बाल श्रम के खिलाफ लंबित कानून को पारित किये जाने की भी वकालत की और कहा कि अगर कानून पारित नहीं होता तो इतिहास और भारत के बच्चे सांसदों को माफ नहीं करेंगे। 

सत्यार्थी आज ही स्वदेश लौटे हैं। उन्होंने कहा, ''मैं सभी सांसदों और अन्य नेताओं से विनम्र अपील करना चाहता हूं कि वे महत्वपूर्ण विधेयक को पारित कराने में मदद करें अन्यथा इतिहास और भारत के बच्चे उन्हें माफ नहीं करेंगे।''

उन्होंने कहा कि गांधी जी ने सत्य, अहिंसा और शांति को जनआंदोलन का रुप दिया था। मेरी अपील है कि करुणा को जनआंदोलन बनायें। आज हमें एक वैश्विक जज्बे, जुनून और नजरिये को विकसित करने की जरुरत है। 

संशोधन विधेयक के पारित हो जाने के बाद-

बाल श्रम (निषेध एवं नियमन) संशोधन विधेयक के पारित हो जाने के बाद किसी भी व्यवसाय में 14 साल से कम उम्र के बच्चों के काम करने पर प्रतिबंध होगा और यह कानून बच्चों को मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार कानून 2009 के संगत बनाता है। इससे पहले सत्यार्थी अपनी पत्नी सुमेधा के साथ यहां राजघाट स्थित महात्मा गांधी की समाधि पर गये और उन्होंने राष्ट्रपिता को श्रद्धांजलि अर्पित की। 

महात्मा गांधी के प्रबल अनुयायी 60 वर्षीय सत्यार्थी ने कहा कि हम सभी जानते हैं कि पूरे विश्व में आज भी करोड़ों बच्चे शोषण एवं हिंसा से पीडित हैं। इतनी सारी उपलब्धियों व तकनीकी विकास के बावजूद यह हमारा दुर्भाग्य है कि बच्चे अपना बचपन और अपना भविष्य खोने को मजबूर हैं।

बच्चों के हित के लिए खर्च करेंगे पुरस्कार की रकम- 

यह पूछे जाने पर कि वह पुरस्कार में प्राप्त पैसों का इस्तेमाल किस तरह करेंगे, सत्यार्थी ने कहा कि उन्होंने इससे पहले अपने जीवन में इतना ज्यादा पैसा कभी नहीं देखा है और साथ ही कहा कि वह एक-एक पैसा भारत और विश्व में बच्चों के हित के लिए खर्च करेंगे। 

यह पैसा यहां तक कि उनके खुद के एनजीओ में नहीं जायेगा। उन्होंने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच स्थायी शांति और ज्यादा आपसी सहयोग के परिणाम से ही हो सकता है । उन्होंने कहा, ''मैं कोई राजनीतिज्ञ नहीं हूं लेकिन जहां तक मैं समझता हूं कि दोनों देशों के बीच स्थायी शांति के लिए जनता के बीच ज्यादा से ज्यादा संपर्क और आपसी सहयोग की जरुरत है। 

आज तड़के दिल्ली पहुंचने के बाद सत्यार्थी ने ट्विीट किया, ''जय हिंद । अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं.'' सत्यार्थी ने कहा कि मैं भारत के महान लोकतंत्र का आभारी हूं जो हम सभी को और हरेक को अपनी आवाज उठाने का अवसर देता है। मैं अपनी न्यायपालिका को हृदय की गहराइयों से धन्यवाद देता हूं जिसने बच्चों के अधिकारों की हिफाजत के लिए ऐतिहासिक फैसले व निर्देश दिये।

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