नई दिल्ली महानायक अभिताभ बच्चन राजनीति में अपने प्रवेश को एक भूल मानते हैं। उनका कहना है कि वह यह भूल दोबारा कभी नहीं दोहराएंगे। अमिताभ ने वर्ष 1984 में इलाहाबाद से लोकसभा चुनाव लड़ा था और जीत भी हासिल की थी, लेकिन उन्होंने 3 साल बाद ही सांसद के पद से इस्तीफा दे दिया था।
यहां शनिवार को 'अजेंडा आजतक' के एक सत्र में अमिताभ ने कहा, 'राजनीति में जाना एक भूल थी। मैं भावनाओं में बहकर उस क्षेत्र में गया, लेकिन बाद में मुझे अहसास हुआ कि राजनैतिक अखाड़े की वास्तविकता, भावनाओं से बहुत अलग है। इसलिए मैंने राजनीति छोड़ दी।'
उन्होंने कहा, 'मैंने दोबारा कभी राजनीति में वापस जाने की बात नहीं सोची।' अमिताभ अपने दिवंगत पिता कवि हरिवंश राय बच्चन की कविता 'मधुशाला' पढ़ते हुए यादों में खो गए। अमिताभ ने बताया कि उनके पिता ने शराब को कभी हाथ तक नहीं लगाया था, लेकिन उनकी कविताएं शराब और शराबियों पर हैं।
उन्होंने बताया, 'मधुशाला 1933 में लिखी गई थी और 1935 में प्रकाशित हुई थी। यह अद्भुत है कि यह कविता अभी भी लोगों को आकर्षित करती है। मेरे पिता ने कभी शराब नहीं पी, लेकिन उनकी कविताओं में शराब का जिक्र है। तब यह काफी चर्चा का विषय हुआ करता था। उनकी कविताओं ने उस समय क्रांतिकारी विचारों का दर्शाया था।'
यहां शनिवार को 'अजेंडा आजतक' के एक सत्र में अमिताभ ने कहा, 'राजनीति में जाना एक भूल थी। मैं भावनाओं में बहकर उस क्षेत्र में गया, लेकिन बाद में मुझे अहसास हुआ कि राजनैतिक अखाड़े की वास्तविकता, भावनाओं से बहुत अलग है। इसलिए मैंने राजनीति छोड़ दी।'
उन्होंने कहा, 'मैंने दोबारा कभी राजनीति में वापस जाने की बात नहीं सोची।' अमिताभ अपने दिवंगत पिता कवि हरिवंश राय बच्चन की कविता 'मधुशाला' पढ़ते हुए यादों में खो गए। अमिताभ ने बताया कि उनके पिता ने शराब को कभी हाथ तक नहीं लगाया था, लेकिन उनकी कविताएं शराब और शराबियों पर हैं।
उन्होंने बताया, 'मधुशाला 1933 में लिखी गई थी और 1935 में प्रकाशित हुई थी। यह अद्भुत है कि यह कविता अभी भी लोगों को आकर्षित करती है। मेरे पिता ने कभी शराब नहीं पी, लेकिन उनकी कविताओं में शराब का जिक्र है। तब यह काफी चर्चा का विषय हुआ करता था। उनकी कविताओं ने उस समय क्रांतिकारी विचारों का दर्शाया था।'
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